एक मुद्दत क बाद उठाई है कलम,सोचा कुछ नई बात लिखूं .
कुछ भूली-बिसरी यादें लिखू,कुछ दिल के ज़ज्बात लिखूं .
प्यार भरे कुछ नगमे लिखूं , या गम की बरसात लिखूं
खुशियों भरे वो दिन लिखूं या तन्हा कोई रात लिखूं .
आओ सुनाता हू तुम्हे दास्तान इक रात की,
मीठी सी कुछ बातें उस पहली मुलाकात की.
शब-ए-फुरकत मे जैसे चाँद तारों का साया था ,
ना जाने क्या सुरूर मेरे दिल-ओ-जिगर पे छाया था.
सागर की लहरों को चीर के जैसे कश्ती कोई आती है,
कुछ इस तरह वो चेहरा मेरे नज़रो के सामने आया था
ज़माने भर की नज़रों से वो मुझे जुदा सा लगा,
अजनबी था वो पर ना जाने क्यू मुझे अपना सा लगा.
उसे देख के लगा ये सच ऩही एक ख्वाब है ,
खुदा की मेहर है कोई या माहताब है
शबनमी सितारों पे जैसे इक फूल खिला है,
लगता है मानो रब से ही कोई नूर मिला है
थी चेहरे पे उसके अजब सी मासूमियत,
आँखों मे इक शरारत थी,
वो नज़रो को उठा के पलकों का झुकना
उसकी तो हर अदा मे मानो कयामत थी.
स्नेहा का वो एक पल था
वो भी ड्रँध थी मैं सबल था
जो मैने चाहा कह ना पाया,
वो जब बोली, मैं अचल था.
ना चाहत थी अब किसी और की ,
ना ही अब किसी की आस ही थी.
वो एक शख्स मेरे साथ था ,
ना अब मुझे किसी और की तलाश थी |
I just love these lines..
ReplyDeleteस्नेहा का वो एक पल था
वो भी ड्रँध थी मैं सबल था
जो मैने चाहा कह ना पाया,
वो जब बोली, मैं अचल था.
Awesome bro
ReplyDeletetruly Amazing :-)
Parteek Jain
nice one... yar itna romantic... kya baat hai?? hm hm
ReplyDelete@prateek and @anurag
ReplyDeleteThnx buddy.......u liked it
bata to sahi... why are you becoming so romantic??
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