एक लड़की थी अनजानी सी,कुछ पगली कुछ दीवानी सी,
एक मस्त हवा का झोंका थी ,थी चंचल कोई कहानी सी |
आँखो मे उसके मस्ती थी, हर बात पे वो यूँ हँसती थी ,
जून की तेज़ दुपहरी मे, वो बनके बरखा बरसती थी |
हर रोज खुली आँखों पे , वो सपनो को सजाया करती थी ,
एक चेहरा बनाके ख़यालों मे, वो उसे बुलाया करती थी |
लिखती थी एक नाम हथेली पर, फिर उसे मिटाया करती थी,
जाने कैसी लड़की थी वो , जो मिट्टी के महल बनाया करती थी |
प्यार ने तोड़े उसके अरमान सारे, जो वो पलकों पे सजाया करती थी,
वक़्त ने रुलाया उसे बहुत, वो लड़की , जो सबको हंसाया करती थी |
अश्कों से भीगे अपने चेहरे से, ज़ुल्फ़ो को जब वो हटा ती थी ,
सहती थी हर ग़म को वो खुद से ही , पर चेहरे से मुस्कुराती थी |
ये दास्तान है एक परी की , जिस पर प्यार का साया था ,
जो टूट गई थी तब से , जब किसी ने उसे ठुकराया था |
By:
Uttam Sharma and Friend
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Uttam Sharma and Friend
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