Saturday, March 13, 2010

मुस्कुराना चाहता हूँ.

आज फिर दिल मेरा उदास है, आज फिर से टूटी हर एक मेरी आस है.
आज फिर से ये आँखे नम है,आज फिर इस दिल को तुझे खोने का गम है.
आज फिर आँसुओ के फसाने निकलेहैं ,मयखाने से मानो पैमाने निकले हैं.
आज फिर से दर्द-ए-तन्हाई है,आज फिर मुझे तेरी कहानी याद आई है.
आज फिर जी भर के रोया हूँ मैं, आज फिर खुदा को मुझ पर हसी आई है.
आज फिर मैं गुम हूँ, गुमसुम हूँ और गुमनाम हूँ,भूला हुआ सा कोई पयाम हूँ.
आज फिर मैं तन्हा हूँ, अकेला हूँ ,गमो से घिरा कोई बादल सरेआम हूँ.
अब तो ऊब चुका हूँ मैं यूँ रोते-रोते,काश साँसे भी छूट जाए सुबह होते-2 .
कोई तो बताए कि मेरी खता क्या है, और इस खता की अब सज़ा क्या है.
आज फिर से मैं उन लम्हो को दोहराना चाहता हूँ ,मैं जानता हूँ की खुशियाँ नही है मेरी किस्मत मे
आज मगर फिर भी, मेरे गमों पर ही सही , मैं मुस्कुराना चाहता हूँ, मुस्कुराना चाहता हूँ..

By:
Uttam Sharma

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