Friday, June 25, 2010

कुछ दिल से ........

उसके ख्वाबों ने मेरी रातों से नींदें माँगी , और मैने पलकों मे उसका चेहरा छुपाए रखा
और ना हो जाए वो मेरी नज़रों से ओझल ,इस खातिर हर शब मैने खुद को जगाए रखा ||

दिल मेरा आज उदास बहुत है, इस पर तू अपना कोई पैगाम ही लिख दे
ना लिखे अपना नाम तो ना सही, मेरे नाम तू कोई इल्ज़ाम ही लिख दे ||

क्यों आज फिर से गम-ए-तन्हाई है, क्यों आज फिर इस दिल को याद तेरी आई है
ये तो अश्क है जो आखों से मेरी निकले हैं, और सब खुश है की आज फिर बरसात आई है  ||

कभी ख्वाब बनकर इन आखों मे आओ , तो कभी खुश्बू बनकर मेरी साँसों मे समा जाओ
सूरज की रोशनी बनो दिन के उज़ालों मे , और बन के माहताब का नूर मेरी रातों मे जगमागाओ ||

याद आतें है वो हँसी भरे लम्हे , और याद आता है वो ज़ुल्फो का ठंडा साया भी मुझको
बस यादें ही मिली मुझे जीने क लिए , ना जाने किस खाक से खुदा ने है बनाया मुझको ||

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